वेदना, व्यथा, अभाव, घाव, राजमार्ग पर
ला, सब कुछ यहां बिछा दे राजमार्ग पर
संकरी सडक यहां कहीं भटक ना जाना तु!
उस गली-कुचे को त्याग आ तु राजमार्ग पर
कब तब रहेगा फूटपाथ पर तु धुआं-धुंआ?
लाल सूरज की धधक जगा तु राजमार्ग पर
निकल मूषक की जमात से बुलंद खुद को बना
दे नगाडे पर धाव, आवाज उठा राजमार्ग पर
राजमार्ग है तु ही, तेरा ही यह पर्याय है
अन्याय के लिए लडने एक हो राजमार्ग पर
Thursday, August 20, 2009
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