Sunday, November 30, 2008

कितने महफूज है हम ?

मुंबई मैं आतंक से हमारा जंग हो गया
आतंक से घायल सारा हिन्दुस्तान हो गया

सत्ता पक्ष छोडने पे विपक्षी आपस में ठन गया
सरकार गिराना ही एक मात्र इनका कर्म हो गया

जन रक्षा के लिए आंखें मुंदना इनका धर्म हो गया
बारूद के रक्त से लाल आज देश का जमीर हो गया

सहायता का वचन देना ही नेताओं का कर्तव्य हो गया
कभी ना सोनेवाली मुंबई में आज लाशों का ढेर हो गया

फिर खाई मुंह की लेकिन सबक ना कोई सीखा
नेताओं के झूठे दिलासों से हिन्दुस्तान बेबस बन गया

ये दुनिया का मेला है यहां आदमी है कम
थोडी सी बची है आंखें जो हो जाती है नम

देख कर इन हालातों को आता होगा आंखों में पानी
लेकिन इसने हमारी आंखों में भर दी है शर्म

जिसके लिए शब्द नहीं है ये सच्ची है कहानी
ये मेरे देश की हकीकत है नहीं है कोई भ्रम

इन हालातों को देखकर कुछ ऐसा लगा
शायद इन्सान का इन्सान से अब विश्वास हटा

जय हिंद

पहचान कौन ?

कल बीच सडक पे मिल गये मुझको मि. बुद्धुराम
सडक पार कर आ मिले मुझसे किया राम-राम

हाल-चाल पूछे और फिर सुनाया अपना हाल
बोले मैं आज-कल बहुत हो गया हूं परेशान

मैंने पूछा कि क्या हो गया बीवी से कोई झगडा
या फिर कर आये हो तुम कही पर कोई लफडा

बोला मुझसे ना, ना दीदी! मैं पूछु एक सवाल
मेरे मस्तिष्क मैं चल रहा है कल से एक विचार

बोला, नेता नामक प्राणी का मतलब क्या है होता
शब्दकोष है सारा टटोला लेकिन मुझको ना मिलता

फिर मैंने क्या कहां पता है ?

अरे, ना पूछो तो ही अच्छा है वर्ना मच जायेगा बवाल
नेता भारत के सारे बन गए है अब खुद ही एक सवाल

नेता का मतलब होता है जो सिर्फ वोट को चाहें
और जो वोट की खातिर अपने देश को बेच के खायें

नेता वो होता जो देश में सबसे ज्यादा उगता हो
जो देश की जनता को हर पल ठगता रहता हो

लालच की सीमा जो लांघे करता घालमघाल
नेता का मतलब अब समझे? या मैं करु धमाल

घपलों घौटालों से चलती इनकी सारी दुकान
जनता जायें भाड में सारी बस कुर्सी ही ईमान

नेता अपने किए हुए वादों को तोडता रहता है
देश की समस्याओं से ये अपना मुख मोडता रहता है

जो लगाता है देश के सिस्टम को नित-नित चूना
और फलता रहता है खुद ही दिन-दूना

नेता है हमारा इस देश की सबसे बडी समस्या
वोटपिपाशु नेता सारे करते है सिर्फ कुर्सी की तपस्या

नेताओं की है अब बस खद्दर ही पहचान
भारत के सारे नेता अब बन गये है बेईमान

जय हिंद

क्रिकेट बनाम भारत

आज मेरा देश हो रहा इस क्रिकेट पर बेहाल
अमीर ज्यादा अमीर हो रहा गरीब बना कंगाल

एक थी मां और एक था बेटा
बाप मर गया जब वह बहुत था छोटा

मां ने उसको पाला पोसा
यह किस्सा है भई बडा अनोखा

दिनभर की मजदूरी से उसके घर का चूल्हा था जलता
दो जून की रोटी जुटाकर ही उसका दिन था संभलता

जिस दिन मेच होता बेटा जाता नहीं था काम पर
जुआ खेलता था मां से लडकर क्रिकेट के नाम पर

क्रिकेट महज खेल नहीं अब बन गया व्यापार
हम किसी को क्या समझाये यह सब है बेकार

देश की प्रगति सिर्फ क्रिकेट तक सीमित रही
जिसकी प्रगति होनी चाहिए वह तो वही की वही

शिकवा नहीं मुझे इस खेल से कोई लेकिन
रंज है बडा उन क्रिकेटरों पर

जो चंद डोलरों में बिक जाते है
अपने देश को लगाकर दांव पर

हार-जीत से क्यों जोडे हम अपने देश को भला
हिंदुस्तां इतना सस्ता नहीं इसके लिए करुंगी मैं हरदम दुआ

32 करोड भूखे लोगों का यह देश है
फिर भी हम सब कहते है इंडिया ग्रेट है

जय हिंद

गुस्ताखी माफ

आ गया चुनावी महोत्सव का पर्व
बिना वजह ही मंत्री कर रहे अपने आप पर गर्व

कर रही थी एक दिन जब मैं बस का सफर
एक मुसाफिर बैठा था मेरी अगली सीट पर

कहने लगा इस बार अगर भाजपा सत्ता पे आई
इस शहर की काया पलट हो जायेगी भाई

हो जायेगा इस ट्रैफिक का समाधान
फिर करने लगा वह मोदी का गुणगान

मोदी को है अठ्ठारह भाषाओं का ज्ञान
गुजरात के विकास पर वे दे रहे है ध्यान

मोदी बनवायेंगे यहां पर एक सेतु (ब्रिज)
फिर किसी पर नहीं आयेगा एक्सीडेन्ट का केतु

भाजपा है अगर गरीबों के प्रति थोडी संगदिल
तो क्या, शहर हो जायेगा मॉल और बाजार में तब्दील

बेचे कथा अतीत के दिया सपनों का वरदान
वर्तमान में देख रहे है मोदी खुद का ही कल्यान

पास हमारे वोट है बदले हम सरकार
परिवर्तन से ही होगा जनतंत्र का उद्धार

मोदी है अभी भई कच्चे उस्ताद
तीखे नारे दे रहे है, करे गुस्ताखी माफ

जय हिंद

वोट बैंक की राजनीति

जो गुजरात की जनता को झूठ समझा सके उसका नाम है ‘मोदी’
जनतंत्र के लिए मुसीबत बन गई है इस हिटलर की तानाशाही

जो अपने स्वार्थ की खातिर बना दे गधे को भी बाप
अपना काम निपटाकर जो बाद में उसे मार दे लात

हिन्दू भक्त कहलाने वाले क्यों बंद नहीं करा सके मस्जिदों के बांग
अब हिन्दू बनने का नाटक छोडो अब नहीं चलेगा ये स्वांग

सोराबुद्दीन का मुद्दा उठाकर अपनी औकात दिखा दी
क्यों तुलसी प्रजापति का भाषण में नाम नहीं ?

सोराबुद्दीन आतंकी था तो क्यों जेल में सड रहा है वणझारा ?
मि. डेथ की दो मुंही बातों का जनता पे कोई असर नहीं है होने वाला

जनभावनाओं को भडकाने की चाल ना होगी अब कामयाब
देखना है अब आगे किसकी बातों में है सच्चाई का सैलाब

जनता के बीच बोलने के बजाय सुप्रीम कोर्ट में जाकर बोले ये मर्द
अगर मर्द है तो निभाये हिन्दू भक्त होने का अपना ये फर्ज

मि. डेथ से तो लाख दर्जे अच्छा है बुश अमरिका का
जो लादेन को चुनावी मुद्दों में नहीं है भुनाता

सबसे बडा आतंकी गुजरात में सिर्फ यही
आतंकवादी यही है, यही है, है यही

निर्माण की दिशा में अब न विनाश होंगे
आज हमने यह कहा कल लोग सब कहेंगे

जय हिंद

वोट पिपासु नेता

पांच बरस बाद आई मंत्री को जनता की याद
क्योंकि अब उन्हें चाहिए वोटों की बरसात

लोक सेवा कहां भाई ये वोटों के युद्ध
गुजरात में अब नहीं चलेगा मि. डेथ का कोई झूठ

90 हजार करोड के कर्ज में इन्होंने हमें दिया डुबोय
धनपतियों का रखते खयाल कि उन्हें न घाटा होय

विगत वर्ष भी हो गये थे वोट लेकर ये फरार
कर रहे है अब बिनती जनता से बारंबार

जालसाजों की साजिश से कांप रहा गुजरात
इसीलिए हम नहीं सो पाते है चैन की कोई रात

इन मौत के सौदागरों को हम सबक सिखायेंगे
हम इसके लिए मरकर भी वापस आयेंगे

चारों और अधम है छाया ये देखो काली रात
फिर कैसे होगी गुजरात में सुख की बरसात

खोटा सिक्का कही नहीं चलता कहती थी मेरी मां
गुजरात का हर बच्चा कहता मि. डेथ अब तू जा

नाना कहा करते थे सोने की चिडिया भारत देश
सोना ले गए अंगरेज बस चिडिया रह गई शेष

इसलिए ही यारों मैंने बदला अपना भेष
सच कहनेवाली चिडिया का है यही संदेश

सच्चाई की कभी हुई नहीं है हार
हम सब मिलकर बनायेंगे नई सरकार

जय हिंद

`untold truth' एक कडवा सच

चुनावी महोत्सव की हो गई रंगारंग शुरुआत
नेताओं की धुनों पर थिरकने लगा गुजरात

धनपतियों की ये सरकार, जनतंत्र में लग गया जंग
मानव द्वारा मानव का शोषण, मंत्री बन रहे चंग

बार-बार झूठ बोलकर कर रहे है अब ये सीनाजोरी
बहुत खा चुके हम धोखा, उनकी देख ली वादाखिलाफी

पांच बरस में कर लिया जनता का सारा माल इन्होंने गर्क
अब गली-गली में घुमकर ये चोर कर रहे है जनसंपर्क

काली-काली करतूते और मीठे-मीठे वादे
कुर्सी की खातिर हमने भांप लिए इनके इरादे

हाथ जोडकर है झुके और मांग रहे है वोट
अंतर में इनके छिपा है वो चोरों वाला खोट

स्वांग रचाकर बन रहे है ये जो अब निर्भीक
रंग बदलता है जैसे यारों कोई गिरगिट

कहते फिरते है जो गली-गली में कि हम है मेहनती
जनता बखूबी जानती है कि कितने ये पाखंडी

विकास के नाम पर चाहे हो शून्य और जीरो
देखो, इनकी चालबाजी बन रहे है अब ये हीरो

इसके लिए हम क्या दे सबूत
जो बक रहे है बस झूठ पे झूठ

जैसे,

उत्तर प्रदेश में मुलायम की लूट
और गुजरात में मि. डेथ का ये झूठ

धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जनतंत्र का उजियारा
विरान बन रहा है गुजरात, नहीं पेड कहीं या छाया

चाहें जितना जोर लगा ले अब नहीं चलेगा इनका लॉजिक
आमजन अब जाग उठे है अब तो होगा कोई मेजिक

अब सफल न होगी इन लोमडियों की चाल
खुल गई है जनता की आंखें और दो कान

विकास की झूठी बातों से न धोखा खायेंगे हम
अब परिवर्तन लाकर ही हम सब लेंगे दम

मेरे गुजरातवासियों, याद करो उन शहीदों का त्याग
फिर न कोई ‘गांधी’ आयेगा जो हमें करा सके आजाद

जय हिंद

महंगी सरकार

गरीबों की नहीं ये अमीरों की सरकार
अब नहीं करेंगे हम इस पे एतबार

महंगाई के दौर में पड गये दाल-रोटी के लाले
मेरे देश की गरीब जनता अपने बच्चों को कैसे पाले

हम नहीं जानते थे इसकी खुदगर्जी
वर्ना इसकी कभी चलने देते ना मर्जी

शक्कर में जहां मिलता है आटा
रोटी के लिए गरीब को मिलता है चाटा

पौडरवाले दूध की मलाई से सब बिमार
फिर कैसे पैदा होंगे देश में पहलवान ?

रेशन वाले लेन की ये देखो लंबाई
कपडे की महंगी हो गई अब सिलाई

झुग्गियां हटा कर इसने खूब की कमाई
अमीरों की इसने फौज है बनाई

हाय महंगाई......... महंगाई......... महंगाई
तुझे भाजपा ही लाई...............हाय !
ये क्या करेगी जनता की भलाई

आखिर में,

तन उजला, मन काला बगुले जैसा भेष
इससे तो कौआ भला, बाहर भीतर एक

जय हिंद

Monday, November 10, 2008

नेता बोले तो...

जिसका एक ही हो नारा...
रुपये में नब्बे पैसा हमारा...

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जो हमेशा यही कहता है...
चलिए, चलिए ध्यान दीजिए
अपने कान मुझे दान दीजिए

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नेता पहले कहता विकास करूंगा दोगुना
जो चुने जाने के बाद लगाता है जनता को चूना

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नेता वो जिसे जनता चाहे
फिर बन जाते ये जनाब गुब्बारे
चुने जाने तक धरे रहते है मौन
कहते है फिर ये तू कौन और मैं कौन ?

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नेता का बस एक ही सपना
जनता का सब माल हो अपना
ये सपना साकार करने में
ये करते करोडों का घपला
जब बात हिसाब की है आती
तब इनका हो राम नाम जपना
बन जाते ये साधु-महात्मा
इनकी नहीं होती कोई आत्मा
जय हिंद

Friday, November 7, 2008

गोधरा की हकीकत

यह कविता मैने गुजरात चुनाव दिसम्बर - 2007 में लिखी थी



एक किस्सा हम जो सुना रहे है, आया नया जमाना
यह पूरी तरह से सच है, ना हमने इसे भुनाया
कल जब गये हम किराना स्टॉर पर
खडी थी एक श्रीमती घूंघट ओढकर
बढे हुए दामों से चौंकी और बोली वह लाचार
इस महंगाई ने तो हमारा जीना किया दुश्वार
गोधरा के बाद हुए दंगों में मैंने पति गवाया
कैसे बताऊ बहना ! अपने बच्चों को कैसे पाला
बच्चे अभी बहुत छोटे है करुंगी कैसे काम
फिर उसने लिया अपने मंत्रीजी का नाम
हर चीज के दाम बढे फिर भी खरीदा है मजबूर
कैसे भरूं बच्चों की फीस, मेरी दुनिया है बेनूर
शिक्षा की जो बाते करते मंत्रीजी दो-चार
कलयुग का रावण क्या करेगा इनसाफ
भूखे, नंगे, अनपढ बच्चे बनेंगे जब बेकार
गुनाह करेंगे संगीन जो करना होगा स्वीकार
चोरी, हत्या, बलात्कार में गुजरात नंबर वन
हर हिन्दू के हाथ में आज थमा दी इसने गन
गांधी नेता बन गए कर के पर उपकार
सुनो, सुनो, मंत्रीजी ! गुजरात से सुरक्षित है बिहार
आमजनों की बातें सुनकर होता मुझको खेद
दर्द हुआ बहुत मुझको उन आंखों में नफरत देख
बौखला उठी वह महिला और कह दी ऐसी बात
इस चुनाव में मारेंगे हम भाजपा को लात
सुनो, सुनो ऐ नर-नारी तुम्हें सुनाऊं राग
कि अब पहचान जाओ मोदी का स्वांग
भाव विर्निमित है मोदी का ‘निर्मल गुजरात’ का ख्वाब
वह तब ही बच सकते है गर देते सत्ता त्याग
सत्ता मिले न मिले फिर भी होगा बडा अट्टहास
जागो, मोदी जागो जनता का टूट गया विश्वास
सत्ता की खातिर हमने देख ली उनकी प्यास
चुनाव में हारने के बाद मोदी होंगे बडे उदास
नारी नहीं सीमित घरों तक ना ही लोकसभा से दूर
सच कहूं तो यारों, ये हो गई ओर भी मजबूत
इस निगोडी महंगाई में हालत हो गई बूरी
यह कहानी सिर्फ यहां होती नहीं है पूरी
जय हिंद