Monday, April 20, 2009

ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी

हंसते रहे खिलते रहे संघषों से लडते रहे
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
अवरोधों से हम ना घबराये,
मुश्किल में भी हंसते जाये
सुख का अमृत बरसे तो भी
हम ना भीगे और ना भरमाये
सदा रहे समता के रंगों से खिलती हमारी जिंदगी
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
हमें मानव का अवतार मिला
मन-बुद्धि का उपहार मिला
डर-डर के हम क्यों जीये
हमें ईश्वर का आधार मिला
ऐ मालिक ! तेरी बंदगी छूटे ना कभी
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
मानव का मानव से हम नाता जोडेंगे
भेद दिवालों का हम सारे तोडेंगे
रागद्वैष भूलकर आत्मीयता का अमृत घोले
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी

2 comments:

Ashish Khandelwal said...

बहुत सुंदर विचार.. आभार

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सूंदर और उच्च विचार, आज इसी जज्बे और आदर्शो की आवश्यकता है. शुभमकामनाएं.

रामराम.