Sunday, November 30, 2008

पहचान कौन ?

कल बीच सडक पे मिल गये मुझको मि. बुद्धुराम
सडक पार कर आ मिले मुझसे किया राम-राम

हाल-चाल पूछे और फिर सुनाया अपना हाल
बोले मैं आज-कल बहुत हो गया हूं परेशान

मैंने पूछा कि क्या हो गया बीवी से कोई झगडा
या फिर कर आये हो तुम कही पर कोई लफडा

बोला मुझसे ना, ना दीदी! मैं पूछु एक सवाल
मेरे मस्तिष्क मैं चल रहा है कल से एक विचार

बोला, नेता नामक प्राणी का मतलब क्या है होता
शब्दकोष है सारा टटोला लेकिन मुझको ना मिलता

फिर मैंने क्या कहां पता है ?

अरे, ना पूछो तो ही अच्छा है वर्ना मच जायेगा बवाल
नेता भारत के सारे बन गए है अब खुद ही एक सवाल

नेता का मतलब होता है जो सिर्फ वोट को चाहें
और जो वोट की खातिर अपने देश को बेच के खायें

नेता वो होता जो देश में सबसे ज्यादा उगता हो
जो देश की जनता को हर पल ठगता रहता हो

लालच की सीमा जो लांघे करता घालमघाल
नेता का मतलब अब समझे? या मैं करु धमाल

घपलों घौटालों से चलती इनकी सारी दुकान
जनता जायें भाड में सारी बस कुर्सी ही ईमान

नेता अपने किए हुए वादों को तोडता रहता है
देश की समस्याओं से ये अपना मुख मोडता रहता है

जो लगाता है देश के सिस्टम को नित-नित चूना
और फलता रहता है खुद ही दिन-दूना

नेता है हमारा इस देश की सबसे बडी समस्या
वोटपिपाशु नेता सारे करते है सिर्फ कुर्सी की तपस्या

नेताओं की है अब बस खद्दर ही पहचान
भारत के सारे नेता अब बन गये है बेईमान

जय हिंद

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