Sunday, November 30, 2008

महंगी सरकार

गरीबों की नहीं ये अमीरों की सरकार
अब नहीं करेंगे हम इस पे एतबार

महंगाई के दौर में पड गये दाल-रोटी के लाले
मेरे देश की गरीब जनता अपने बच्चों को कैसे पाले

हम नहीं जानते थे इसकी खुदगर्जी
वर्ना इसकी कभी चलने देते ना मर्जी

शक्कर में जहां मिलता है आटा
रोटी के लिए गरीब को मिलता है चाटा

पौडरवाले दूध की मलाई से सब बिमार
फिर कैसे पैदा होंगे देश में पहलवान ?

रेशन वाले लेन की ये देखो लंबाई
कपडे की महंगी हो गई अब सिलाई

झुग्गियां हटा कर इसने खूब की कमाई
अमीरों की इसने फौज है बनाई

हाय महंगाई......... महंगाई......... महंगाई
तुझे भाजपा ही लाई...............हाय !
ये क्या करेगी जनता की भलाई

आखिर में,

तन उजला, मन काला बगुले जैसा भेष
इससे तो कौआ भला, बाहर भीतर एक

जय हिंद

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