Sunday, November 30, 2008

क्रिकेट बनाम भारत

आज मेरा देश हो रहा इस क्रिकेट पर बेहाल
अमीर ज्यादा अमीर हो रहा गरीब बना कंगाल

एक थी मां और एक था बेटा
बाप मर गया जब वह बहुत था छोटा

मां ने उसको पाला पोसा
यह किस्सा है भई बडा अनोखा

दिनभर की मजदूरी से उसके घर का चूल्हा था जलता
दो जून की रोटी जुटाकर ही उसका दिन था संभलता

जिस दिन मेच होता बेटा जाता नहीं था काम पर
जुआ खेलता था मां से लडकर क्रिकेट के नाम पर

क्रिकेट महज खेल नहीं अब बन गया व्यापार
हम किसी को क्या समझाये यह सब है बेकार

देश की प्रगति सिर्फ क्रिकेट तक सीमित रही
जिसकी प्रगति होनी चाहिए वह तो वही की वही

शिकवा नहीं मुझे इस खेल से कोई लेकिन
रंज है बडा उन क्रिकेटरों पर

जो चंद डोलरों में बिक जाते है
अपने देश को लगाकर दांव पर

हार-जीत से क्यों जोडे हम अपने देश को भला
हिंदुस्तां इतना सस्ता नहीं इसके लिए करुंगी मैं हरदम दुआ

32 करोड भूखे लोगों का यह देश है
फिर भी हम सब कहते है इंडिया ग्रेट है

जय हिंद

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