चुनावी महोत्सव की हो गई रंगारंग शुरुआत
नेताओं की धुनों पर थिरकने लगा गुजरात
धनपतियों की ये सरकार, जनतंत्र में लग गया जंग
मानव द्वारा मानव का शोषण, मंत्री बन रहे चंग
बार-बार झूठ बोलकर कर रहे है अब ये सीनाजोरी
बहुत खा चुके हम धोखा, उनकी देख ली वादाखिलाफी
पांच बरस में कर लिया जनता का सारा माल इन्होंने गर्क
अब गली-गली में घुमकर ये चोर कर रहे है जनसंपर्क
काली-काली करतूते और मीठे-मीठे वादे
कुर्सी की खातिर हमने भांप लिए इनके इरादे
हाथ जोडकर है झुके और मांग रहे है वोट
अंतर में इनके छिपा है वो चोरों वाला खोट
स्वांग रचाकर बन रहे है ये जो अब निर्भीक
रंग बदलता है जैसे यारों कोई गिरगिट
कहते फिरते है जो गली-गली में कि हम है मेहनती
जनता बखूबी जानती है कि कितने ये पाखंडी
विकास के नाम पर चाहे हो शून्य और जीरो
देखो, इनकी चालबाजी बन रहे है अब ये हीरो
इसके लिए हम क्या दे सबूत
जो बक रहे है बस झूठ पे झूठ
जैसे,
उत्तर प्रदेश में मुलायम की लूट
और गुजरात में मि. डेथ का ये झूठ
धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जनतंत्र का उजियारा
विरान बन रहा है गुजरात, नहीं पेड कहीं या छाया
चाहें जितना जोर लगा ले अब नहीं चलेगा इनका लॉजिक
आमजन अब जाग उठे है अब तो होगा कोई मेजिक
अब सफल न होगी इन लोमडियों की चाल
खुल गई है जनता की आंखें और दो कान
विकास की झूठी बातों से न धोखा खायेंगे हम
अब परिवर्तन लाकर ही हम सब लेंगे दम
मेरे गुजरातवासियों, याद करो उन शहीदों का त्याग
फिर न कोई ‘गांधी’ आयेगा जो हमें करा सके आजाद
जय हिंद
Sunday, November 30, 2008
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