Sunday, November 30, 2008

गुस्ताखी माफ

आ गया चुनावी महोत्सव का पर्व
बिना वजह ही मंत्री कर रहे अपने आप पर गर्व

कर रही थी एक दिन जब मैं बस का सफर
एक मुसाफिर बैठा था मेरी अगली सीट पर

कहने लगा इस बार अगर भाजपा सत्ता पे आई
इस शहर की काया पलट हो जायेगी भाई

हो जायेगा इस ट्रैफिक का समाधान
फिर करने लगा वह मोदी का गुणगान

मोदी को है अठ्ठारह भाषाओं का ज्ञान
गुजरात के विकास पर वे दे रहे है ध्यान

मोदी बनवायेंगे यहां पर एक सेतु (ब्रिज)
फिर किसी पर नहीं आयेगा एक्सीडेन्ट का केतु

भाजपा है अगर गरीबों के प्रति थोडी संगदिल
तो क्या, शहर हो जायेगा मॉल और बाजार में तब्दील

बेचे कथा अतीत के दिया सपनों का वरदान
वर्तमान में देख रहे है मोदी खुद का ही कल्यान

पास हमारे वोट है बदले हम सरकार
परिवर्तन से ही होगा जनतंत्र का उद्धार

मोदी है अभी भई कच्चे उस्ताद
तीखे नारे दे रहे है, करे गुस्ताखी माफ

जय हिंद

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