हंसते रहे खिलते रहे संघषों से लडते रहे
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
अवरोधों से हम ना घबराये,
मुश्किल में भी हंसते जाये
सुख का अमृत बरसे तो भी
हम ना भीगे और ना भरमाये
सदा रहे समता के रंगों से खिलती हमारी जिंदगी
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
हमें मानव का अवतार मिला
मन-बुद्धि का उपहार मिला
डर-डर के हम क्यों जीये
हमें ईश्वर का आधार मिला
ऐ मालिक ! तेरी बंदगी छूटे ना कभी
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
मानव का मानव से हम नाता जोडेंगे
भेद दिवालों का हम सारे तोडेंगे
रागद्वैष भूलकर आत्मीयता का अमृत घोले
ऐसी बनाये हम हमारी जिंदगी
Monday, April 20, 2009
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2 comments:
बहुत सुंदर विचार.. आभार
बहुत ही सूंदर और उच्च विचार, आज इसी जज्बे और आदर्शो की आवश्यकता है. शुभमकामनाएं.
रामराम.
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