अटखेलियां कर रही है जिंदगी ख्वाबों में
और कभी सरक जाती है ये अंधेरों में
एक ख्वाब सजा रक्खा है मैंने दिल में
कभी तो सच होगा ये सच्चे आकार में
भावना, प्यार, द्वैष और तिरस्कार में
कभी यहां-कभी वहां टकरा रही हूं खींचातान में
दूर जगमगा रही है जो उस किरण में
देख रही हूं मैं जिंदगी को उस रूप में
Friday, April 10, 2009
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1 comment:
सुन्दर शक्तिशाली अभिव्यक्ति
please visit my blogs paraavaani and creative policing
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