Monday, November 10, 2008

नेता बोले तो...

जिसका एक ही हो नारा...
रुपये में नब्बे पैसा हमारा...

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जो हमेशा यही कहता है...
चलिए, चलिए ध्यान दीजिए
अपने कान मुझे दान दीजिए

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नेता पहले कहता विकास करूंगा दोगुना
जो चुने जाने के बाद लगाता है जनता को चूना

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नेता वो जिसे जनता चाहे
फिर बन जाते ये जनाब गुब्बारे
चुने जाने तक धरे रहते है मौन
कहते है फिर ये तू कौन और मैं कौन ?

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नेता का बस एक ही सपना
जनता का सब माल हो अपना
ये सपना साकार करने में
ये करते करोडों का घपला
जब बात हिसाब की है आती
तब इनका हो राम नाम जपना
बन जाते ये साधु-महात्मा
इनकी नहीं होती कोई आत्मा
जय हिंद

1 comment:

प्रदीप मानोरिया said...

लाज़बाब नारा है हिन्दुस्तान हमारा है
सच्चाई को पुकारा है